सुंदर कथा १२१ (श्री भक्तमाल – श्री राधिका दास जी) Sri Bhaktamal – Sri Radhika das ji

संत श्री राधिका दास जी की सिद्ध मानसी सेवा –

बिहार के मिथिला क्षेत्र में गंगा के तट पर रहने वाले एक उच्च कोटि के महात्मा हुए है । वे सर्वथा भोगों और संसार से बहुत दूर रहते थे, अत्यंत निःस्वाद भोजन लेते थे, सदा नाम जाप मे लगे रहते थे। वे मानसिक रूप से नित्य श्री गीतगोविन्द का पाठ करते रहते थे । उनके आश्रम के सभी साधको को निःस्वाद भोजन ही मिलता था, स्वप्न में भी मिर्च, मसाला, दही, दूध, मिष्टान्न, अचार का दर्शन नही होता था । उनके वृद्धावस्था की घटना है, एक दिन बाबा लेटे थे और सेवक उनके चरण दबा रहे थे । उसी समय बाबा को खांसी आने लगी, जैसे उन्हें उठा कर बिठाया वैसे खांसी और तेज हो गयी और कुछ गाढ़ी लाल वस्तु और रक्त जैसे लाल छींटे उनके वस्त्रो पर गिरा । सम्पूर्ण कक्ष में दिव्य सुगंध आने लगी । शिष्यों को पहले तो लगा कि रक्त गिरा है परंतु ठीक से देखा तो पता लगा यह तो ताम्बूल (पान) है ।

सभी शिष्य सोचने लगे कि बाबा तो कभी पान खाते नही, सदा निःस्वाद भोजन करते है और चलकर कही जा भी नही सकते पान खाने । सभी सोच मे पड गए कि यह पान आया कहां से और बाबा ने इसको कब खाया ? बाबा तो राधा राधा राधा राधा कहते हुए रो रहे थे, धीरे धीरे वे समाधि से बाहर आये । निकट के शिष्यों ने जब इस पान का रहस्य पूछा तो बाबा ने बताया कि मानसी सेवा के समय हमने श्री प्रिया लाल जी को कुसुम सेज पर पौढा कर ताम्बूल (पान) दिया , उसमे से थोड़ा सा ताम्बूल प्रसाद के रूप में प्रिया लाल जी ने प्रेम पूर्वक मुझे खिलाया दिया । वही दिव्य पान के कण बाबा के मुख से गिरे । पान तो खाया था भाव राज्य (मानसी) मे परंतु वह प्रत्यक्ष प्रकट हो गया।

सुंदर कथा १२१ (श्री भक्तमाल – श्री राधिका दास जी) Sri Bhaktamal – Sri Radhika das ji&rdquo पर एक विचार;

  1. Sunil Kabra कहते हैं:

    Thanks and regards

    On Sun, 17 Jan 2021, 11:42 श्री भक्तमाल Bhaktamal katha, wrote:

    > श्री गणेशदास कृपाप्रसाद posted: “संत श्री राधिका दास जी की सिद्ध मानसी
    > सेवा – बिहार के मिथिला क्षेत्र में गंगा के तट पर रहने वाले एक उच्च कोटि के
    > महात्मा हुए है । वे सर्वथा भोगों और संसार से बहुत दूर रहते थे, अत्यंत
    > निःस्वाद भोजन लेते थे, सदा नाम जाप मे लगे रहते थे। वे मानसिक रूप से नित”
    >

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